Subscribe

RSS Feed (xml)



Powered By

Powered by Blogger

Best Offers

Share with me

Tuesday, August 09, 2011

मधुश्रावणी संपन्न


परंपरा---
टेमी दागने के साथ
मधुश्रावणी संपन्न
--------------------
मधुबनी, निसं : नवविवाहिताओ का प्रसिद्ध पर्व मधुश्रावणी मंगलवार को महिलाओं के मधुर कंठ से गाए जा रहे भगवती व अन्य देव परक गीतों के बीच वर द्वारा किए गए सिंदूरदान व विधकरी के द्वारा टेमी दागने के बाद संपन्न हो गया।
मधुश्रावनी को लेकर आज नवविवाहिताओं के घर चहल-पहल रही। गीतों से वातावरण गुलजार हो रहा था। व्रती नव विवाहिताएं ससुराल से आये वस्त्र धारण कर पूजा के लिए कोहबर घर में बैठीं। पूजा के लिए उन्होंने सोमवार की शाम ही फूलों के साथ विभिन्न पेड़-पौधों की पत्तियां जमा कर ली थीं। इनसे गौरी, चनाइ, बैरसी, विषहारा आदि की पूजा हुई। आज बांस से बनी डालियां व मौनी में लहठी, सिंदूर, आईना, कंघी आदि भी रखे अंतिम दिन श्रीकर राजा व भगवान गणेश द्वारा सुहाग मंथन की कथा हुई। मधुश्रावणी पर पति भी पूजा के दौरान संग बैठे। उन्होंने तीसरी बार पत्‍‌नी को सिंदूरदान किया। वहीं जब पति ने 'करतल धय पान जुगुतिसँ मूनब सीता दाइ केर नयना श्रीराम हे' गीत के बीच पान के पत्तों से उनकी आंखें मूंदीं तो रोमांचित हो उठीं। टेमी दागने की प्रथा जो होनी थी। विधकरी ने महीन छिद्र किए पान के पत्तों को घुटने व हाथ पर रखे तथा जलती बाती से टेमी दागने की प्रथा पूरी की। उधर, एक सुहागिन तांबे के बर्तन में धनियां, धान व पानी डाल उसे लकड़ियों से मिलाते सुहाग मंथन की विधि पूरी करती रहीं। पूजा के बाद व्रती नव ब्याहताओं ने उसे सुहागिनों के बीच बांटा। मधुश्रावणी की रस्म महिला पुरोहित के द्वारा संपन्न की गयी। वहीं ससुराल से आए विभिन्न प्रकार के फल, मिठाई व अन्य सामग्रियों का वितरण भी किया गया।

No comments:

Hotels in India

Best Offer