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Wednesday, July 27, 2011
विषहारा पांचों बहन को चढ़ाया दूध-लावा
Jul 20
-नव विवाहिताओं का महापर्व मधुश्रावणी शुरू
-महिला पंडित से सुनेंगी पृथ्वी के जन्म की कथा आज
दरभंगा, निज संवाददाता : मिथिला की नव विवाहिताओं ने महापर्व मधुश्रावणी को लेकर बुधवार से पूजा-अर्चना शुरू कर दी है। वहीं फिजां में गीतों की स्वर लहरियां तैरने लगी हैं। उन व्रती नव विवाहिताओं के घर-आंगन में आज आसपड़ोस की महिलाओं का जमघट लगा रहा जो पहली बार यह महापर्व मना रही हैं। पहले दिन नव विवाहिताओं ने बासी फूल और पेड़-पौधों के पत्तों से पूजा करते हुए कोहबर घर में मिट्टी की बनी विषहारा पांचों बहनों को दूध-लाव चढ़ाया। पिसी हल्दी व दूब से निर्मित गौरी के साथ चनाइ को पूजा और महिला पंडित से पहले दिन 'मौना पंचमी' की कथा सुनी। इसके बाद जाही-जूही फूल विषहरा पर छींटे और माहौल गीतों में डूब गया- 'फूल छीटऽमे लागय सोहान विषहरि मंदिरमे.।' व्रती नव विवाहिताओं ने आज से एक ही शाम बिना नमक का अरबा भोजन आरंभ कर दिया है। पूजन-सामग्री के साथ ही भोजन के लिए अन्न आदि भी ससुराल से आए हैं। श्रावण कृष्ण पक्ष की पंचमी पर आज से आरंभ पूजा का यह क्रम आगामी 2 अगस्त को श्रावण शुक्ल पक्ष तृतीया पर संपन्न होगा। अंतिम दिन मधुश्रावणी पर पति द्वारा एक बार फिर सिंदुरदान किया जाएगा तो 'टेमी दागने' की प्रतीक परंपरा भी होगी। इधर, शाम में नव विवाहिताओं की टोलियां बागीचों से फूल व विभिन्न पेड़-पौधों की वनस्पतियां चुनने में जुटी रहीं। इन्हीं फूलों से गुरुवार को पूजा होगी। व्रती दूसरे दिन 'पृथ्वी के जन्म' की कथा सुनेंगी। उल्लेखनीय है कि इस पर्व में प्रयुक्त होने वाली सामग्री प्रकृति से ली गई तो होती ही हैं। बरसात के समय में सर्प का प्रकोप बढ़ने को लेकर उनकी पूजा का विधान कर यह ध्यान दिलाने का प्रयास भी होता है कि उन्हें अकारण नहीं मारा जाए, क्योंकि वह भी प्रकृति का ही अंग है।
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