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Tuesday, February 08, 2011

कमला बलान नदी में कट गए भूमि का नही मिला मुआवजा

Naruar - Jhanjharpur Kamla Balan
झंझारपुर (मधुबनी)। गत पांच दशक पूर्व यहां के सैकड़ों किसानों की हजारों एकड़ सोना उगलने वाला उपजाऊ भूमि कमला नदी की धारा में विलीन हो गया। जिसका मुआवजा अभी तक नहीं मिल सका है। जानकारी के अनुसार एक समय कमला बलान नदी की धारा वर्तमान जगह से लगभग चार-पांच सौ मीटर दूर पश्चिम में थी। उस समय नगर पंचायत क्षेत्र के अबलपुर, परतापुर और कन्हौली के अलावे लखनौर प्रखंड के पिपराघाट एवं अंधराठाढ़ी प्रखंड के महरैल हरना एवं भदुआर गांव के सैकड़ों किसानों के तकरीबन 3000 एकड़ भूमि तीन फसली था। उसकी पैदावार से परिवार चलाने के बाद भी सालाना आय किया करते थे। किन्तु कालांतर में कमला नदी ने अपना रूख पलट ऐसी उपजाऊ भूमि को अपने अधीन कर यहां के किसानो का निवाला ही छिन लिया। लखनौर प्रखंड के भदुआर गांव तक लगभग 10 किलो मीटर की दूरी में नदी का वर्तमान बहाव होने से यहां के करीब 3000 एकड़ भूमि के मालिकों की खुशहाली छीन गई। स्थानीय किसानों में बेनाम प्रसाद, श्याम नारायण यादव, उमाकांत साह, ब्रह्मानंद ठाकुर, वैद्यनाथ झा, मुमताज अंसारी आदि ने बताया कि अगर एनएच 57 सड़क में गई भूमि का मुआवजा भू-धारियों को दी जाती है। नहर खुदाई में मुआवजा की व्यवस्था है तो नदी में विलीन हो चुके भूमि का मुआवजा क्यों नहीं। प्राप्त जानकारी के अनुसार बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री स्व. कर्पूरी ठाकुर ने भी अपने कार्यकाल के समक्ष घोषणा की थी कि अलाभकारी भूमि का मालगुजारी नहीं लिया जाएगा। जो आजतक सरकारी घोषणा तक ही सीमित है। यहां के किसानों में से अधिकांश ने अब नदी में समा चुके अपनी भूमि की आशा छोड़ मुआवजे की मांग करना भी छोड़ दिये है, किन्तु प्रत्येक वर्ष लगान देते समय भूमि की याद टीस दे जाती है।

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