अपने के हम पटकी रहल छि
नै बढ़ देब मिथिला के हम
बाहर रही क चमैक रहल छि
कत बिला गेल अप्पन भाषा
अंग्रेजी फारसी संग बमैक रहल छि
छोरु मिथिला के बात नै करू
आनक भाषा के साथ नै छोरु
लेकिन एक दिन मिथिले काज देत
अतबे कहै ले चहैक रहल छि
भटकी रहल छि ..............................
जय मिथिला
आनंद झा
No comments:
Post a Comment