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Monday, April 04, 2011

बिहार में लड़कियों की साक्षरता दर में अभूतपूर्व वृद्धि: रिपोर्ट


पटना ।। बिहार ने साक्षरता के क्षेत्र में पिछले एक दशक में लंबी छलांग लगाई है। इसमें बहुत बड़ा कारण महिलाओं की साक्षरता दर में अभूतपूर्व उछाल माना जा रहा है। कुल साक्षरता दर के मामले में हालांकि बिहार अब भी देश में सबसे निचले पायदान पर है, लेकिन महिलाओं की साक्षरता दर में बिहार एक पायदान ऊपर चढ़ा है। 

भारत की जनगणना 2011 के प्रारंभिक आंकड़ों के मुताबिक, पिछले 10 वर्षों में साक्षरता दर 47 प्रतिशत से बढ़कर 63.82 प्रतिशत तक जा पहुंचा है। बिहार की लड़कियों की साक्षरता दर में अभूतपूर्व वृद्धि दर्ज की गई है। आंकड़े बता रहे हैं कि बिहार की बेटियां अब पढ़ रही हैं और आगे बढ़ रही हैं। 

पिछले एक दशक में बिहार में महिला साक्षरता दर में जहां 20.2 प्रतिशत का इजाफा हुआ है, वहीं पुरुषों की साक्षरता दर में मात्र 13.8 प्रतिशत का ही इजाफा दर्ज किया गया है। वर्ष 2001 में महिला साक्षरता दर जहां 33.1 प्रतिशत थी, वहीं वह बढ़कर 53.33 प्रतिशत तक पहुंच गई है, जबकि पुरुषों की साक्षरता दर जहां 2001 में 59.7 प्रतिशत थी, वहां 73.05 प्रतिशत तक पहुंची है। 

आंकड़ों के अनुसार, महिलाओं की साक्षरता दर के मामले में केरल सबसे ऊपर है, तो राजस्थान सबसे नीचे है। पिछली बार की जनगणना में बिहार सबसे नीचे था। महिलाओं की साक्षरता दर में आई उछाल को राज्य सरकार योजनाओं का प्रतिफल मानती है। राज्य के मानव संसाधन मंत्री पी. के. शाही मानते हैं कि सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं के कारण ही महिला साक्षरता दर में वृद्धि हुई है। राज्य सरकार द्वारा जारी आंकड़े भी इस बात की गवाही देते हैं। 

मुख्यमंत्री बालिका पोशाक योजना के प्रारंभ होने के बाद विद्यालयों में छात्राओं की संख्या में वृद्धि हुई है। मुख्यमंत्री साइकिल योजना के प्रारंभ होने के पूर्व वर्ष 2007 में नौवीं कक्षा में पढ़ने वाली छात्राओं की संख्या एक लाख 70 हजार थी, वहीं इस योजना के बाद वर्ष 2010 में केवल नौवीं कक्षा में पढ़ने वाली छात्राओं की संख्या पांच लाख 55 हजार तक जा पहुंची है। बिहार में साक्षरता प्रतिशत बढ़ने का कारण बच्चों का विद्यालय पहुंचना भी है। 

राज्य के शिक्षा विभाग के एक अधिकारी के अनुसार, विद्यालय से बाहर रहने वाले बच्चों की संख्या वर्ष 2005 में 12.5 प्रतिशत यानी 25 लाख थी, जो घटकर वर्ष 2010 में 3.5 प्रतिशत यानी सात लाख रह गई है। वह कहते हैं कि बच्चों को स्कूल पहुंचाने के लिए पुलिसकर्मियों तक को लगाया गया। 

पटना विश्वविद्यालय की प्रफेसर भारती एस. कुमार कहती हैं कि सरकार की योजनाएं तो इसके लिए काफी हद तक प्रभावी हैं। वह कहती हैं कि महिला सशक्तीकरण के लिए बिहार में जो योजनाएं चलाई जा रही हैं, उसका यह रिजल्ट है। उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में सरकार और स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा किए जा रहे कार्यों की सराहना भी की। 

वह कहती हैं कि साक्षरता दर में वृद्धि से हमें बहुत अधिक खुश होने की जरूरत नहीं है, क्योंकि पुरुष-महिला अनुपात में और वृद्धि हुई है। इन आंकड़ों के अनुसार, जहां एक ओर महिलाएं शिक्षित तो हो रही हैं, लेकिन वहीं भ्रूणहत्या को नहीं रोका जा रहा है। वह कहती हैं कि इसके लिए सरकार और समाज दोनों को सोचना होगा। 

शिक्षा के क्षेत्र में काम कर रही संस्था 'बियॉन्ड होराइजन' के अध्यक्ष सौरभ रंजन का मानना है कि राज्य में साक्षरता दर में उछाल आया है, परंतु इस दिशा में अभी बहुत कुछ करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि आज भी राज्य में साक्षरता का दर अन्य राज्यों से काफी कम है। उन्होंने इसके लिए जागरूकता अभियान चलाने पर जोर दिया।


By NBT    

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