क्यु कि समाज कि बडी कलंक बन चुकी है दहेज कुप्रथा !!
विवाह शादी होती है दो आत्माओं कि निस्वार्थ प्रेम मिलन !!
पर ये तो हो चुकी है बेट्टा बेचके पैसा कमाने कि प्रचलन !!
जरा सोचो बेट्टा के शादी मे हस हस के दहेज लेते हो !!
बेट्टी के शादी मे खुन पसिना बेच के दहेज देते हो !!
मर रही है हमारी बेट्टीयाँ दहेज लेने देने कि खेल मे !!
दहेज उत्तपीडन मुक्दमा दर्ज होने पर बाप बेट्टा दोनो जाओगे जेल मे !!
जिनसे चल्लेगी तेरा आनेवाला खानदान कि बंश !!
देदो उन्हे एक आदर्श बहु,पत्तनी होनेका अंश !!
मत माँगो पैसा,मोटरगाडी,सोफा,वाशिंगमेसिन और गोदरेज !!
बरना बत्त कुवारा रह्जायेगा न मिलेगा फुटी कौडी दहेज !!
मत करो बेट्टीवालों क अपमान,उन्हे करो सदा सम्मान् !!
तुम एक याचक हो,वो है महान्,जो देते है तुम्हे कन्यादान् !!
सब मिल्कर उठाओ ये बडी संकल्प कि कसम !!
समाज कि इस कुप्रथा को कर देंगे सदा के लिए खतम !!
रचनाकार:- प्रभात राय भट्ट
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