लड़कियां बेबफाई नहीं करती
वो बस डरती हे
अपनी मजबूरियों से . . .
वो ज़माने में रुसवाई से डरती हैं,
डरती हैं क इश्क मशहूर हुआ तो !
किस्से बन जायेंगे !!
माँ, बाबा, भाई, बहिनों से,
रूह तक जुडी रहती हैं !
घर के आँगन मैं लगी,
तुलसी से भी पवित्र होता है !
उनका प्यार अपने परिवार के लिए,
घरवालों के एक एक आंसूं पर,
खुद को फ़ना तबाह करती हैं !
खौफ्फ़ नहीं है उनको मौत का,
ज़िन्दगी से डर डर कर जिंदा रहती हैं !
खुद कफ़न अपना सी कर ,
वो दूसरो की दी हुयी मौत जीती हैं !!
लड़कियां बेवफाई नहीं करती ,
वो बस डरती हैं,
अपनी मजबूरियों से !!
तभी तो कहते हे की खेलो किसी से पर लड़कियों की भावनाओ से मत खेलो . . . !
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