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Sunday, September 05, 2010
मत इंतज़ार कराओ हमे इतना कि वक़्त के फैसले पर अफ़सोस हो जाये
मत इंतज़ार कराओ हमे इतना कि वक़्त के फैसले पर अफ़सोस हो जाये क्या पता कल तुम लौटकर आओ और हम खामोश हो जाएँ दूरियों से फर्क पड़ता नहीं बात तो दिलों कि नज़दीकियों से होती है दोस्ती तो कुछ आप जैसो से है वरना मुलाकात तो जाने कितनों से होती है दिल से खेलना हमे आता नहीं इसलिये इश्क की बाजी हम हार गए शायद मेरी जिन्दगी से बहुत प्यार था उन्हें इसलिये मुझे जिंदा ही मार गए लोग मोहब्बत को खुदा का नाम देते है, कोई करता है तो इल्जाम देते है। कहते है पत्थर दिल रोया नही करते, और पत्थर के रोने को झरने का नाम देते है। भीगी आँखों से मुस्कराने में मज़ा और है, हसते हँसते पलके भीगने में मज़ा और है, बात कहके तो कोई भी समझलेता है, पर खामोशी कोई समझे तो मज़ा और है|
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