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Friday, February 19, 2010
कलम कभी की बिक चुकी है
कलम कभी की बिक चुकी है .......
स्याही उसकी सूख चुकी है !
सत्ता के गलियारों में
उसके कागज बिखर चुके है !
कलम कभी की ................!
शब्दों के जंजालो में
इंसानों के जज्बात्तो का
खून कभी का हो चुका है !
कलम कभी की ...............!
मदिरा के प्यालो में अब तो
कलम की स्याही धुल चुकी है
कलम कभी की .....................!
कुछ तोहफो के बदले में
तारीफों के लेख लिख कर
कलम की आजादी अब तो
जंजीरों में बंद चुकी है !
कलम कभी की ...............
सुनने में तो लगता बुरा है
लिखने में भी कष्ट है मुझको
सच्चाई पर यही है अब तो !
कलम कभी की ...................!
झुठला दे कोई जो इसको
उसके पास ही सही कलम है !
वरना इसके आगे अब तो
लिखने को कुछ रहा नहीं है !
कलम कभी की बिक चुकी है !
स्याही उसकी सूख चुकी है !
सत्ता के गलियारों में
उसके कागज बिखर चुके है !
कलम कभी की ................!
शब्दों के जंजालो में
इंसानों के जज्बात्तो का
खून कभी का हो चुका है !
कलम कभी की ...............!
मदिरा के प्यालो में अब तो
कलम की स्याही धुल चुकी है
कलम कभी की .....................!
कुछ तोहफो के बदले में
तारीफों के लेख लिख कर
कलम की आजादी अब तो
जंजीरों में बंद चुकी है !
कलम कभी की ...............
सुनने में तो लगता बुरा है
लिखने में भी कष्ट है मुझको
सच्चाई पर यही है अब तो !
कलम कभी की ...................!
झुठला दे कोई जो इसको
उसके पास ही सही कलम है !
वरना इसके आगे अब तो
लिखने को कुछ रहा नहीं है !
कलम कभी की बिक चुकी है !
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